गया में पिंडदान का महत्व
गया में पिंडदान का बहुत महत्व है। यह एक धार्मिक प्रथा है जिसमें पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। गया में पिंडदान करने से 108 कुलों और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी धार्मिक मान्यता है ।
- मोक्ष की प्राप्ति: गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे वे जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।
- 108 कुलों का उद्धार: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गया में पिंडदान करने से 108 कुलों और 7 पीढ़ियों का उद्धार होता है।
- पितृ ऋण से मुक्ति: पिंडदान करने से व्यक्ति पितृ ऋण से भी मुक्त हो जाता है, ऐसा माना जाता है ।
- भगवान विष्णु का आशीर्वाद: गया को पितृ तीर्थ भी कहा जाता है, जहां भगवान विष्णु पितृ देवता के रूप में विराजमान रहते हैं, ऐसा कहा जाता है ।
- पौराणिक कथा: गया में पिंडदान की शुरुआत गयासुर नामक राक्षस से जुड़ी है, जिसे भगवान विष्णु ने मोक्ष प्रदान किया था और यह वरदान दिया था कि उसकी देह पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलेगा, ।
- अन्य महत्व: गया में पिंडदान करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
गया में पिंडदान करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
पितृ पक्ष के दौरान, गया में पिंडदान करने के लिए देश-विदेश से तीर्थयात्री आते हैं।